- अब्दुल हमीद जासिम अल-बिलाली
- अल-मनार पब्लिशिंग हाउस
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मुहम्मद(सल्ल.) कौन
एक ऐसी दुनि या, जि समें जि सकी ला ठी उसकी भैंस का क़ानून आम था।
जि समें ग़रीबों का आर्थि क शोषण अमीरों के लि ए खिलवाड़ था, जि समें कई
बार लड़कि यों को पैदा होते ही ज़ि ंदा दफ़्न कर देना भी प्रचलि त था। जि समें
औरतों की इज़्ज़त-आबरू कोई मानी नहीं रखती थी। जब एक अल्ला ह के
बजाय अनगि नत खद़ु ाओ ं की पजू ा होती थी। ऐसे समय म ें हज़रत महु म्मद
सल्लल्ला हु अलैहि वसल्लम का जन्म हुआ, जि सके लि ए हज़रत इबराहीम
अलैहि स्सला म ने दुआ माँगी थी और जि सकी ख़ुशख़बरी हज़रत ईसा मसीह
ने सुनाई थी। एक ऐसा नबी जो कि सी क्षे त्र वि शेष या वर्ग वि शेष के लि ए नहीं
भेजा गया था, बल्कि जो समस्त मानवजाति के लि ए मार्ग दर्शक और पथ-
प्रदर्शक था। जो समस्त संसार के इन्सा नों के लि ए रहमत (दयाल ुता) बनाकर
भेजा गया था। जि सने बीमार मानवता को क़ुरआन के रूप में एक ऐसा उपचा र
दे दि या जो उसके सभी दुखों से स्था यी रूप से छुटकारा दिला ने वाला है।