इस्लाम में खाललस इन्सानी अधिकार
इस्लाम इन्सान की हैसियत से इन्सान के कुछ हक़ और अधिकार मुक़र्रर करता है। दूसरे शब्दों में इसका मतलब यह है कि हर इन्सान चाहे, वह हमारे अपने देश और वतन का हो या किसी दूसरे देश और वतन का,
islamhouse.com
इस्लाम इन्सान की हैसियत से इन्सान के कुछ हक़ और अधिकार मुक़र्रर करता है। दूसरे शब्दों में इसका मतलब यह है कि हर इन्सान चाहे, वह हमारे अपने देश और वतन का हो या किसी दूसरे देश और वतन का,
islamhouse.com
इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम
हदीस एक पहचानः इस्लामी धर्म-शास्त्र का दूसरा स्रोत हदीस है, जिस से अभिप्राय ईश्दूत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का कथन, कर्म और तक़रीर (अर्थात स्वीकृति) है। इस पुस्तिका में हदीस की परिभाषा, स्वीकार और रद्द करने की दृष्ट से हदीस के भेद, और उन में से हरेक भेद की परिभाषा, तथा सहीह और ज़ईफ (अस्वीकृति) हदीस की परिभाषा और उन की क़िस्मों, ज़ईफ हदीस को बयान करने का प्रावधान और उस पर अमल करने का हुक्म, इसी तरह ज़ईफ हदीसों पर आधारित वर्तमान समय की कुछ बिद्अतों, बिद्अती का बुरा अंजाम, ज़ईफ़ अहादीस से बचाव और उस की पहचान के तरीक़े का उल्लेख किया गया है। معرفة الحديث: تحتوي هذه الرسالة على التعريف بالحديث وأنواعه من ناحية الرد والقبول، وأنواع الحديث المقبول والمردود
इत्तिबा-ए-सुन्नत और तक़लीद से संबंधित यह एक बात-चीत है जो एक शांतिपूर्ण वातावरण में अब्दुल्लाह और अहमद नामी दो व्यक्तियों के बीच हुई है। जिस में यह स्पष्ट किया गया है कि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत का इत्तिबा करना ही असल दीन है, तथा तक़लीद का खण्डन किया गया है और उस से उपेक्षा करने पर बल दिया गया है। حوار هادئ حول الاتباع والتقليد جرى بين شخصين، عبد الله وأحمد: تناول الحوار الحديث عن وجوب اتباع سنة النبي - صلى الله عليه وسلم